Wednesday, 30 December 2015

[www.keralites.net] एक मीठा उलाहना

 

एक मीठा उलाहना

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पत्नी भावुक होकर बोली ,
" आपको याद है आपने हमारी शादी से पहले
अपनी माँ को छुपकर एक ख़त लिखा था जिसमे आपने
अपने गुस्से का इजहार करते हुए लिखा था की आप मुझसे
शादी नहीं करना चाहते
क्युकी आपको मेरा चेहरा पसंद नहीं था "
पति ने हैरान होकर पूछा ,
" वो ख़त तुझे कहा मिला वो तो बहुत पुरानी बात हे "
पत्नी आँखों में आंसू भरके बोली ,
" कल आपके बक्से से मुझे ये पुराना ख़त मिला . 
मुझे
नहीं पता था की ये शादी आपकी मर्जी के खिलाफ
हुई थी . वरना में खुद ही मना कर देती "
पति ने अपना सर अपनी पत्नी की बांहों में रखा और
बोला ,
अरे पगली उस वक्त मैं सिर्फ 12 साल का था और मुझे
लगा तू मेरे से शादी करके जब आएगी तो मेरे कमरे में मेरे
साथ मेरा बिस्तर और तकिये पे सोएगी .
मेरे सारे
खिलोनो के साथ खेलेगी और मेरी गुल्लक से पैसे
चुरा लेगी .
लेकिन उस वक्त मैं ये कहा जानता था की तू
मेरी जिन्दगी में आकर मेरी जिन्दगी को एक कमरे से
बाहर एक घर तक ले जायेगी.
ये कहा जानता था की मुझे कपड़ो के बने खिलोनो से
कही ज्यादा खुबसूरत और प्यारे खिलोने ( हमारे बच्चे )
तू मुझे देगी .
ये कहा जानता था की मेरी चिल्लर से भरी गुल्लक के
मुकाबले तू मुझे प्यार की बेशकीमती दौलत देगी ,
अब बोल और भी कुछ पूछना बाकी हे ??"
पत्नी ने तसल्ली के साथ कहा .
" भगवान् का शुक्र हे . में तो समझ रही थी तुम्हे उस
पड़ोस वाली से प्रेम था "
पति ने हंसते हुए कहा ,
" अजी रहने दो कहा वो और
कहा मेरी राजकुमारी...... "
पत्नी और पति एक दुसरे से लिपट गए .
प्यार के आखिरी सफ़र की मंजिल अब कुछ ही दूर बची थी


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Posted by: "K.G. GOPALAKRISHNAN" <kgopalakrishnan52@yahoo.in>
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